Thursday, April 25, 2024
HomeLITERATURE & POEMSMAITHILI POEMSवनक श्रृंगार

वनक श्रृंगार

Published on

श्वेत हिरण सन सरपट दौड़ै-ए
दिन दुर्निवार
तैयो कुसुमक कली-कली करै-ए
वनक श्रृंगार
बहै पछवा आ कि पुरबा
बेमाइ हमरे टहकत
दरकत हमरे ठोर
जेना पड़ल हो खेत बीच दरार
साझी दलान बटल
पड़ल पुरान आंगनमे नव देबाल
नई बनत आब सांगह
हमर घरक….
ई टूटल हथिसार
सागर मोनमे आस्ते-आस्ते
उतरै-ए डगमग करैत नाह
हाथ नई पतवार
आंखिमे जंगलक अन्हार
सगरो इजोत ता’ बिदा होइत छी,
खूजल अइ छोटछीन खिडकी
मुदा अपन घरक निमुन्न अइ केवाड़
के मारल गेल, पकड़ल के गेल
से कह’ आ ने कह’
भोरक अखबार
मुदा सेनुरसँ ढौरल अइ हमर चिनवार
कोइली कुहुकि-कुहुकि कहत
कखन हैत भोर आ
कत’-कत’ अइ ऊँच पहाड़
कारी सिलेट पर
लिखल अइ बाल-आखर
जेना सड़क पर सगरो
छिड़िआएल हो सिंगरहार

कवि अग्निपुष्प

आप सब को कैसी लगी कविता कॉम निचे कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखे

Facebook Comments

Latest articles

BIHAR GOVERNMENT HOLIDAY CALENDAR 2024

वर्ष 2024 में राज्य सरकार द्वारा घोषित छुट्टियों की सूची Bihar Holiday Calendar 2024 The...

ओढ़नी डैम: बाँका जिले का प्रसिद्ध पिकनिक स्थल

बिहार के बाँका जिले में स्थित ओढ़नी डैम, प्राकृतिक सौंदर्य और जल क्रीड़ा के...

बिहार :समृद्ध विरासत, ज्ञान और धार्मिक उद्गम की भूमि

बिहार की विरासत , नवाचार और लचीलेपन के धागों से बुनी गई एक टेपेस्ट्री...

More like this