मेरी रफ्तार पे सूरज की किरण नाज करे
ऐसी परवाज दे मालिक कि गगन नाज करे
वो नजर दे कि करुँ कद्र हरेक मजहब की
वो खुशबू से महक जाये ये दुनिया मालिक
मुक्षको वो फूल बना सारा चमन नाज करे
इल्म कुछ ऐसा दे मैं काम सबों के आऊँ
हौसला ऐसा ही दे गंग – जमन नाज करे
आधे रास्ते पे न रुक जाये मुसाफिर के कदम
शौक मंजिल का हो इतना कि थकन नाज करे
दीप से दीप जलायें कि चमक उठे बिहार
ऐसी खूबी दे ऐ मालिक कि वतन नाज करे
जय बिहार जय बिहार जय जय जय जय बिहार