Wednesday, May 8, 2024
HomeFEATURED ARTICLESसंपूर्ण क्रांति दिवस विशेष :जानिये कैसे जयप्रकाश नारायण ने क्रांति की एक...

संपूर्ण क्रांति दिवस विशेष :जानिये कैसे जयप्रकाश नारायण ने क्रांति की एक मिसाल कायम की

Published on

इस पीढ़ी के नौजवानो से संपूर्ण क्रांति के बारे में पूछा जाये तो शायद उनका उत्तर बस इस जवाब तक ही सिमित रहेगा की ये लोकनायक जयप्रकाश नारायण का नारा है ।लेकिन बहुत ही काम लोग इस दो शब्द की परभाषा जानते होंगे ।
आज हमलोग संपूर्ण क्रांति की परिभाषा जानने की कोशिश करेंगे ।अगर काम शब्दों में कहा जाये तो सम्पूर्ण क्रान्ति जयप्रकाश नारायण का विचार व नारा था जिसका आह्वान उन्होने उस समय की इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये किया था।

लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है – राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है।

पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आहवान किया था। मैदान में उपस्थित लाखों लोगों ने जात-पात, तिलक, दहेज और भेद-भाव छोड़ने का संकल्प लिया था। उसी मैदान में हजारों-हजार ने अपने जनेऊ तोड़ दिये थे। नारा गूंजा था:

जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो।
समाज के प्रवाह को नयी दिशा में मोड़ दो।

सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था। जय प्रकाश नारायण की हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ा था। बिहार से उठी सम्पूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी। जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। लालू यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और सुशील कुमार मोदी, आज के सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।
lalu-ramvilash sharad during sampoorna kranti


लोकनायक जय प्रकाश नारायण का मानना था की

’’सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है ।’’

Jai Prakash Narayan
Jai Prakash Narayan

अब हमलोग जानते है आखिर ऐसा क्या हुआ था की जे पि को ऐसा क्रन्तिकारी कदम उठाने के लिए बाध्य होना पड़ा था ।दरअसल समाज के घोषित और पीछे वर्ग को उनका हक़ दिलाने के लिए जे पि ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था । उनका उद्देश्य सभी पिछड़े वर्गों को राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक हक़ दिलाना था ,जो करने में तब की इंदिरा सरकार नाकाम रही थी ।

पांच जून, 1974 की विशाल सभा में जे. पी. ने पहली बार ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ के दो शब्दों का उच्चारण किया। क्रान्ति शब्द नया नहीं था, लेकिन ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ नया था। गांधी परम्परा में ‘समग्र क्रान्ति’ का प्रयोग होता था।

पांच जून को सांयकाल पटना के गांधी मैदान पर लगभग पांच लाख लोगों की अति उत्साही भीड़ भरी जनसभा में देश की गिरती हालत, प्रशासनिक भ्रष्टचार, महंगाई, बेरोजगारी, अनुपयोगी शिक्षा पध्दति और प्रधान मंत्री द्वारा अपने ऊपर लगाये गए आरोपों का सविस्तार उत्तर देते हुए जयप्रकाश नारायण ने बेहद भावातिरेक में जनसाधारण का पहली बार ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ के लिये आह्वान किया।
jayprakash narayan
जे.पी. ने कहा-
‘यह क्रान्ति है मित्रों! और सम्पूर्ण क्रान्ति है। विधान सभा का विघटन मात्र इसका उद्देश्य नहीं है। यह तो महज मील का पत्थर है। हमारी मंजिल तो बहुत दूर है और हमें अभी बहुत दूर तक जाना है।’
पांच जून को जे. पी. ने घोषणा की:- भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रान्ति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं; क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए। और, सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति- ’सम्पूर्ण क्रान्ति’ आवश्यक है। इस व्यवस्था ने जो संकट पैदा किया है वह सम्पूर्ण और बहुमुखी (टोटल ऐण्ड मल्टीडाइमेंशनल) है, इसलिए इसका समाधान सम्पूर्ण और बहुमुखी ही होगा। व्यक्ति का अपना जीवन बदले, समाज की रचना बदले, राज्य की व्यवस्था बदले, तब कहीं बदलाव पूरा होगा; और मनुष्य सुख और शान्ति का मुक्त जीवन जी सकेगा।

छात्रों का आह्वान
जे.पी. ने छात्रें से सम्पूर्ण क्रान्ति को सफल बनाने के लिए एक वर्ष तक विश्वविद्यालयों और कालेजों को बंद रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि- ‘केवल मंत्रिमंडल का त्याग पत्र या विधान सभा का विघटन काफी नहीं है, आवश्यकता एक बेहतर राजनीतिक व्यवस्था का निर्माण करने की है। छात्रें की सीमित मांगें, जैसे भ्रष्टाचार एवं बेरोजगारी का निराकरण, शिक्षा में क्रान्तिकारी परिवर्तन आदि बिना सम्पूर्ण क्रान्ति के पूरी नहीं की जा सकती।’ उन्होंने सीमा सुरक्षा बल और बिहार सशस्त्र पुलिस के जवानों से अपील की कि वे सरकार के अन्यायपूर्ण और गैर कानूनी आदेशों को मानने से इनकार कर दें।
jayprakash narayan
जे.पी. ने सात जून से बिहार विधान सभा भंग करो अभियान चलाने, मंत्रियों और विधायकों को विधान सभा में प्रवेश करने से रोकने के लिए सभा के फाटकों पर ध्रना देने, प्रखण्ड से सचिवालय स्तर तक प्रशासन ठप्प करने, लोकशक्ति को बढ़ाने हेतु छात्र-युवक एवं जन संगठन बनाने, नैतिक मूल्यों की सदाचरण द्वारा स्थापना करने तथा गरीब और कमजोर वर्ग की समस्याओं से निपटने के लिए भी छात्रों और जनसाधारण का आह्वान किया।

सात जून को जे.पी. का भाषण जब समापन की ओर था तभी सभास्थल पर गोलियों से घायल लगभग 12 लोग पहुंचे और सभा में तीव्र उत्तेजना फैल गई। ये राजभवन से लौटने वाली भीड़ के वे लोग थे जो पीछे रह गए थे। इन लोगों पर बेली रोड स्थित एक मकान से गोली चलाई गई थी। पटना के जिलाधीश विजयशंकर दुबे के अनुसार- उस मकान में ‘इन्दिरा ब्रिगेड’ नामक संगठन के कार्यकर्ता रहते थे। उनमें छह व्यक्ति गिरफ्तार कर लिए गए हैं, जिनमें से एक के पास से धुआं निकलती बन्दूक और छह गोलियां बरामद की गई हैं। सभा में जिलाधीश द्वारा लिखा गया पत्र भी पढ़कर सुनाया गया, जिसमें पुलिस द्वारा तत्काल कार्रवाई करने तथा गोलीकाण्ड के बावजूद प्रदर्शनकारियों द्वारा शान्ति और संयम बरतने की सराहना की गई थी। विशाल जन समूह के लोग गोलीबारी से चोट खाए लोगों को देखकर इस हद तक उद्वेलित हो उठे थे कि यदि जे.पी. को दिया गया शान्तिपूर्ण रहने का वचन न होता और स्वयं जे.पी. वहां मौजूद न होते, तो शायद उस शाम इन्दिरा ब्रिगेड के दफ्तर से लेकर विधान भवन-सचिवालय आदि, सब कुछ जल गया होता। सभा स्थल पर जे.पी. ने कहा- ‘देखो ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप लोग धारा में बह जाएं, उस स्थान पर जाकर आग लगा दें। वचन देते हो न कि शान्त रहोगे?’ लाखों ने हाथ उठाकर, सिर हिलाकर और ‘हां’ की जोरदार आवाज लगाकर जे.पी. को वचन दिया। प्रदर्शनकारियों और आम जनता ने- ’हमला चाहे जैसा होगा, हाथ हमारा नहीं उठेगा’ के नारे का वस्तुत: पालन करके जे.पी. को दिखा दिया। लोग एकदम शान्त हो गये, ऐसा था जे.पी. का प्रभाव और उनके नेतृत्व में चल रहे आन्दोलन का अनुशासन।

जे.पी. के निकट सहयोगी एवं प्रख्यात् चिन्तक आचार्य राममूर्ति के अनुसार- ‘पांच जून के विशाल प्रदर्शन को देखकर ऐसा लगा जैसे पूरा बिहार खड़ा हो गया है और जनता किसी अज्ञात नियति की ओर बढ़ने को आतुर है।… सारे संघर्ष ने ‘सत्ता बनाम जनता’ का रूप ले लिया। पांच जून, आन्दोलन में नए मोड़ का दिन था। वह एक विशेष दिन था जब बूढ़े और बीमार जे.पी. हस्ताक्षरों के बण्डल ट्रक पर लादकर राज्यपाल के घर गए। इन हस्ताक्षरों में इस बात की घोषणा थी कि प्रचलित सत्ता में जनता का विश्वास नहीं रहा और इस बात की भी परोक्ष घोषणा थी कि उसे विश्वास है जे.पी. और उनके आन्दोलन पर।’

आन्दोलन का चौथा दौर
बिहार छात्र आन्दोलन का चौथा चरण सात जून, 1974 से जयप्रकाश नारायण के इस आह्वान के अनुसार प्रारम्भ हुआ कि ‘हमें सम्पूर्ण क्रान्ति चाहिए, इससे कम नहीं।’ ‘विधान सभा भंग करो।’ के स्थान पर ‘विधान सभा भंग करेंगे’ के नारे के साथ अहिंसक एवं शान्तिपूर्ण ढंग से सत्याग्रह, ध्रना आदि का कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। जे.पी. द्वारा निर्देशित आन्दोलन का कार्यक्रम निम्न प्रकार था:-
1. विधान सभा भंग करने का अभियान चलाना
2. विधान सभा के सभी फाटकों पर सत्याग्रह और ध्रना आयोजित कर सदस्यों को अन्दर न जाने देना।
3. सचिवालय से लेकर ब्लाक स्तर तक प्रशासनिक कामकाज एकदम ठप्प कर देना।
4. अपनी मांगों की पूर्ति के लिए प्रदर्शन, सत्याग्रह कर जेल जाना।
jayprakash narayan
छात्र संघर्ष समिति द्वारा विधायकों के इस्तीफे की मांग
छात्र संघर्ष समिति ने विधान सभा के समक्ष ध्रना प्रारम्भ करने के पूर्व सभी दलों के विधायकों से त्याग पत्र देने की मांग की और घोषित किया कि बिहार विधान सभा को भंग करने की मांग को लेकर ध्रने का कार्यक्रम एक सप्ताह तक चलेगा। यदि तब तक विधायकों ने इस्तीफे नहीं दिये तो 12 जून से उनके घरों का घेराव किया जाएगा।

बिहार में आन्दोलन नए चरण में पहुंच गया। सम्पूर्ण प्रदेश की जनता संघर्ष करने की मन:स्थिति में आती जा रही थी। वहीं इस आन्दोलन में छात्रें के समर्थक गैर-कम्युनिस्ट विपक्षी दलों में वैचारिक, रणनीति संबंधी एवं संगठनात्मक संकट गंभीर हो गया। हुआ यह कि इन दलों के अनेक विधायकों ने पांच जून की अंतिम तिथि बीत जाने के बावजूद अपनी पार्टी के नेतृत्व द्वारा दिए गए निर्देश के बावजूद विधान सभा की सदस्यता से त्याग पत्र नहीं दिया।

विधान सभा के 24 सदस्यीय जनसंघ गुट के विधायकों में लालमुनि चौबे ने अगुवाई की और उनके सहित 12 विधायकों ने विधान सभा की सदस्यता से त्याग पत्र दिया, पर आठ जनसंघी विधायकों ने पार्टी के निर्देश को ठुकरा दिया। जनसंघ ने इन आठ विधायकों तथा तीन अन्य को पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया। शेष एक विधायक ने उसी दिन त्याग पत्र दे दिया। तेरह सदस्यीय संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के 7 विधायकों ने इस्तीफा दिया, अन्य ने नहीं। विधान सभा अधायक्ष हरिनाथ मिश्र के अनुसार उस समय तक केवल 19 विधायकों ने इस्तीफे दिए थे, जिन्हें वे स्वीकार कर चुके थे। संगठन कांग्रेस ने निर्णय किया कि उसके विधायकों के इस्तीफे का प्रश्न 15 व 16 जून को कलकत्ता में हो रही कांग्रेस संगठन ‘महासमिति’ की बैठक तक स्थगित रहेगा तथा इस मामले पर हाई कमान से विचार किया जाएगा। इस प्रकार कांग्रेस के 23 विधायकों में से किसी ने इस्तीफा नहीं दिया।

विधान सभा के सामने सत्याग्रह, 53 सत्याग्रही गिरफ्तार
सात जून को पटना में बिहार विधान सभा के समक्ष छात्र संघर्ष समिति, सर्वोदय मण्डल तथा गैर-कम्युनिस्ट विपक्षी दलों की ओर से ध्रना दिया गया। ध्रने के दौरान विधायकों को विधान सभा में जाने से रोकने पर 53 सत्याग्रही गिरफ्तार किए गए, जिनमें सर्वोदय नेता रामनन्दन सिंह, जन संघ के नेता विजयकुमार मिश्र तथा छात्र नेता विद्यानन्द तिवारी शामिल थे।

इसी दिन बिहार छात्र संघर्ष समिति की संचालन समिति ने छात्रें का आह्वान किया कि वे एक वर्ष तक अपनी कक्षाओं का बहिष्कार करें और श्री जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में शामिल हों। राज्य के विभिन्न जिलों के छात्रें द्वारा जिलाधीश कार्यालयों, अन्य सरकारी दफ्तरों से लेकर ब्लाक मुख्यालयों पर ध्रना-प्रदर्शन आदि करने का कार्यक्रम क्रियान्वित किया गया।

हालांकि यह ऐतिहासिक क्रांति का लक्ष्य स समय पूरा नहीं हो सका था क्योकि इंदिरा सरकार ने इस क्रांति को दबाने के लिए पुरे देश में आपातकाल लगा दी थी ।

लेकिन जे पि की क्रांति तब सफल हुई जब आपातकाल के बाद हुए पहले आमचुनाव में इंदिरा गाँधी को मुंह की खानी पड़ी\और पहली बार सरकार के तानाशाह रवैये खिलाफ जनता ने अपनी नाराजगी दिखाई और कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया ।
दोस्तों संपूर्ण क्रांति के ये कहानी आपको कैसी लगी निचे कमेंट कर के लिखे

source -wikipedia

Facebook Comments

Latest articles

बिहार के तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव में पांच सीटों के समीकरण

बिहार के तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव में पांच सीटों के समीकरण इस प्रकार...

सिलाई मशीन योजना ऑनलाइन आवेदन 2024: महिला सशक्तिकरण के लिए मुफ्त सिलाई मशीन योजना

क्या है सिलाई मशीन योजना ? भारत सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य...

BIHAR GOVERNMENT HOLIDAY CALENDAR 2024

वर्ष 2024 में राज्य सरकार द्वारा घोषित छुट्टियों की सूची Bihar Holiday Calendar 2024 The...

More like this

बिहार दिवस 2024: बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न

बिहार दिवस कब मनाया जाता है हर साल 22 मार्च को, भारत का...

पटना में हाई-टेक तारामंडल का निर्माण: बिहार का एक और कदम विकास की ऊँचाइयों की ओर

बिहार के विकास में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ता जा रहा है, क्योंकि पटना...